ऐ मेरे दोस्त ये चेहरे पे उदासी कैसी? क्या तेरा दिल भी मेरे दिल की तरह टूट गया? क्या तुझे भी किसी हमराज की याद आती है? क्या तबियत तेरी तन्हाई में घबराती है?
ऐसा लगता है कि तुने भी कभी मेरी तरह, अपने महबूब को जी-जान से चाहा होगा, उसने लेकिन तेरे खवाबों का भरम तोड़ दिया, तू बता या न बता, ये सच है लेकिन, हादसा इश्क में जब ऐसा कभी होता है, आँखें रोयें या न, पर दिल तो बहुत रोता है.
हो गया ऐसा अगर होने दे मायूस न हो, अपने सीने पे अब तू जब्त का पत्थर रख ले, वर्ना अहसास जुदाई का रुलायेगा तुझे, याद आने के जो काबिल नहीं आएगा तुझे, रूह बेचैन रहेगी न सकूं पायेगी , गैर तो गैर हैं ये खुद पे भी झुंझलाएगी, इससे बेहतर है तू माजी से किनारा करले, गम के काँटों की जगह खुशियों से दामन भर ले.
इस ज़माने की रवायत से अनजान हो तुम, किस लिए, किस के लिए, इतने परेशान हो तुम, कौन करता है यहाँ प्यार निभाने के लिए, दिल तो बस एक खिलौना है ज़माने के लिए, संगदिल लोगों से फ़रियाद नहीं करते कभी, भूल जाएँ जो, उन्हें याद नहीं करते कभी, सब्र कर उसको भी एहसास ये हो सकता है, जो रुलाता है तुम्हे, खुद भी वो रो सकता है,
ऐ मेरे दोस्त ये चेहरे पे उदासी कैसी? क्या तेरा दिल भी मेरे दिल की तरह टूट गया?…………………
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